Unraveling the UP Police Recruitment Exam Scandal
हाल ही में हुई यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा विवादों और कदाचार के आरोपों से घिरी रही है। पेपर लीक, प्रतिस्थापन और सॉल्वर गिरोह की खबरें सामने आने से परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता जांच के दायरे में आ गई है। इस ब्लॉग का उद्देश्य यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा घोटाले के आसपास की घटनाओं की गहराई से जांच करना, इन खुलासों के निहितार्थ और प्रभाव की जांच करना है।
यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा की पृष्ठभूमि:
60,244 रिक्तियों को भरने के लिए यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 17 फरवरी, 2024 को शुरू हुई। 75 जिलों में 48 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने परीक्षा दी, इसे राज्य में सबसे बड़े भर्ती अभियानों में से एक माना गया। हालाँकि, कड़े सुरक्षा उपायों के बीच, परीक्षा प्रक्रिया की अखंडता को लेकर चिंताएँ पैदा हो गई हैं।
कदाचार के आरोप:
यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कदाचार की खबरें सामने आई हैं। आरोप पेपर लीक से लेकर सॉल्वर गैंग के शामिल होने तक हैं, जिससे चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कथित तौर पर लीक हुए प्रश्नपत्रों को दिखाने वाले स्क्रीनशॉट और छवियों से भरे हुए हैं, जिससे विवाद और बढ़ गया है।
मैनपुरी में रविवार को जनपद में पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया। शहर के डॉ. किरन सौजिया एकेडमी के ब्लॉक बी में केंद्र व्यवस्थापक ने एक अभ्यर्थी को सॉल्व कॉपी के साथ पकड़ा। उसके पास दो कागज मिले, जिसमें परीक्षा में आए 150 सवालों में क्रमवार 114 के जबाव लिखे हुए थे। सूचना पर पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए। अभ्यर्थी को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी है। केंद्र व्यवस्थापक की ओर से कोतवाली में तहरीर दी गई है।
कदाचार के उदाहरण:
यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान कदाचार के कई मामले सामने आए हैं:
प्रतिस्थापन: अभ्यर्थी कथित तौर पर परीक्षा में बैठने के लिए दूसरों का प्रतिरूपण करते हैं।
सॉल्वर गैंग: परीक्षा के दौरान प्रश्नों को हल करने में उम्मीदवारों की सहायता करने वाले संगठित समूह।
पेपर लीक: परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र लीक होने की खबरें, जिससे इसकी सत्यनिष्ठा से समझौता हो रहा है।
मिलीभगत: नकल को बढ़ावा देने के लिए परीक्षा स्टाफ और अभ्यर्थियों के बीच मिलीभगत।
भर्ती प्रक्रिया पर प्रभाव:
कदाचार के खुलासों का भर्ती प्रक्रिया और यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा की विश्वसनीयता पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। परीक्षा प्रक्रिया की अखंडता पर सवाल उठने के साथ, चयन मानदंड की निष्पक्षता और पारदर्शिता भी जांच के दायरे में आ गई है। इसके अलावा, भर्ती प्रणाली में लाखों उम्मीदवारों का भरोसा डगमगा गया है, जिससे समान भर्ती अभियानों के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
जनपद में रविवार को पहली पारी की परीक्षा में दो सॉल्वर गिरफ्तार किए गए। वहीं शाम होते होते शहर के एक स्कूल से तीसरा सॉल्वर गिरफ्तार किया। पुलिस सभी से जानकारी जुटा रही थी। तभी सूचना मिली कि द्वितीय पाली में डॉ. किरन सौजिया एकेडमी के बी-ब्लॉक में परीक्षा दे रहे एक अभ्यर्थी के पास पहले से पुलिस भर्ती परीक्षा के सवालों के जवाब की एक काॅपी मौजूद है। केंद्र व्यवस्थापक डिंटो एमडी ने जब पकडे़ गए अभ्यर्थी से पूछा तो उसने अपना नाम रवि प्रकाश सिंह पुत्र राधेश्याम निवासी बरुना थाना नारायणपुर जिला भोजपुर बिहार बताया। उसके पास से दो कागज बरामद हुए।
सोशल मीडिया पर पेपर के कुछ स्क्रीनशॉट्स और फोटोज के साथ दावा किया जा रहा है कि 17 फरवरी को दूसरी शिफ्ट में आयोजित हुई यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया है. सोशल मीडिया यूजर्स ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर दावा कर रहे हैं कि सेकंड शिफ्ट का पेपर आंसर-की के साथ वायरल हो रहा है.
प्राधिकारियों की प्रतिक्रिया:
आरोपों के आलोक में, अधिकारियों ने यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच शुरू कर दी है। धोखाधड़ी और कदाचार को बढ़ावा देने में शामिल व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, भविष्य की भर्ती प्रक्रियाओं की सुरक्षा और अखंडता को मजबूत करने के कदमों पर विचार किया जा रहा है।
यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा (UP Police Constable Recruitment Exam) सम्पन्न हो चुकी है. इस दौरान गड़बड़ी करने वाले 244 लोग गिरफ्तार किए गए. कहीं कोई दूसरे की जगह बैठकर एग्जाम दे रहा था, तो कहीं कोई सॉल्वर गैंग पकड़ा गया. सोशल मीडिया पर पेपर लीक की खबरें भी तैरती रहीं. इसको लेकर खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि पुलिस भर्ती परीक्षा 2024 के सभी सत्रों का पेपर लीक होने की न्यूज सोशल मीडिया पर स्क्रीनशॉट के साथ फैल रही है, जिससे लाखों बेरोजगार युवाओं में आक्रोश का माहौल है.
यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा घोटाला बड़े पैमाने पर परीक्षा आयोजित करने में निहित चुनौतियों और जटिलताओं को रेखांकित करता है। कदाचार के आरोप न केवल भर्ती प्रक्रिया की प्रतिष्ठा को धूमिल करते हैं बल्कि सिस्टम में उम्मीदवारों का भरोसा भी कम करते हैं। चूंकि अधिकारी मुद्दों को संबोधित करने और भर्ती प्रक्रिया में अखंडता बहाल करने का प्रयास करते हैं, इसलिए परीक्षाओं की पवित्रता बनाए रखने के लिए पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। केवल ठोस प्रयासों से ही इच्छुक उम्मीदवारों का भरोसा और विश्वास दोबारा हासिल किया जा सकता है, जिससे यूपी पुलिस बल में भविष्य की भर्तियों के लिए निष्पक्ष और योग्यता आधारित चयन प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।